भारत में कोविड-19, मामलों में तेज़ उछाल: ओपीडी पर दबाव, नए लक्षण उभर रहे – घबराएं नहीं, रहें सतर्क

भारत में कोविड-19, मामलों में तेज़ उछाल: ओपीडी पर दबाव, नए लक्षण उभर रहे – घबराएं नहीं, रहें सतर्क

By- Santosh Gupta | Time - 01:15 PM
विज्ञान | स्वास्थ्य विज्ञान | Date - 30/05/25

भारत में कोविड-19 मामलों में तेजी देखी जा रही है, जिससे ओपीडी पर दबाव बढ़ा है। दिल्ली सहित कई शहरों में मरीजों की संख्या तीन से चार गुना तक बढ़ गई है। इस बार कर्कश आवाज, पानी जैसा दस्त, और हल्का बुखार जैसे नए लक्षण उभर रहे हैं। हालांकि अधिकतर मामले गंभीर नहीं हैं और मरीज 3-7 दिनों में ठीक हो रहे हैं। बुजुर्गों और बीमार लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। टेस्ट और सावधानी अब भी ज़रूरी है।

 
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भारत | कोविड-19

ई दिल्ली। देश के कई राज्यों में कोविड-19 मामलों की संख्या में इजाफा देखने को मिल रहा है, जिससे अस्पतालों की ओपीडी (Outpatient Department) में भीड़ अचानक बढ़ गई है। हालांकि यह लहर पहले जैसी गंभीर नहीं है, फिर भी इसके कुछ लक्षण और असर अलग दिखाई दे रहे हैं। खासकर दिल्ली में कोविड केस बढ़ने के साथ-साथ अन्य महानगरों के अस्पतालों में भी ओपीडी मरीजों की संख्या तीन से चार गुना तक बढ़ी है।


मरीजों में दिख रहे हैं नए लक्षण: कर्कश आवाज, पानी जैसा दस्त और हल्का बुखार आम लक्षण 

इस बार की लहर में मरीजों में जो लक्षण सामने आ रहे हैं, वे पहले की तरह तेज बुखार या सांस फूलने जैसे गंभीर नहीं हैं। बल्कि अब मरीज कर्कश आवाज, गले में खराश, पानी जैसा दस्त, थकान, हल्की पेट दर्द, और हल्का, लगातार बुखार जैसी शिकायतों के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संक्रमण ऊपरी श्वसन मार्ग को प्रभावित कर रहा है, लेकिन मामलों की गंभीरता कम है।


ओपीडी में तीन से चार गुना अधिक मरीज, लेकिन ICU में भर्ती नहीं

फरीदाबाद के अमृता अस्पताल के डॉ. प्रदीप बजाड़ के अनुसार, "हम आईसीयू में कोविड के सीधे मामलों में बढ़ोतरी नहीं देख रहे हैं, लेकिन ओपीडी में मरीजों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है।" उन्होंने बताया कि खासकर बुजुर्ग, बच्चों के माता-पिता और पहले से किसी बीमारी से जूझ रहे लोग घबराहट के कारण अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। इस बार कोविड के साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षणों में भी वृद्धि देखी गई है। कोलकाता के CMRI अस्पताल के डॉ. अरूप हलदर ने बताया कि युवा मरीजों में दस्त, मतली, और हल्की पेट में ऐंठन की शिकायतें सामने आई हैं। कई लोग बिना बुखार के सिर्फ दस्त की वजह से अस्पताल आ रहे हैं, और बाद में उनका कोविड टेस्ट पॉजिटिव निकल रहा है।

JN.1 वेरिएंट, जो वर्तमान में प्रमुख रूप से फैला है, में भी यही प्रवृत्ति देखी जा रही है – हल्का लेकिन लंबे समय तक रहने वाला बुखार और पेट संबंधी तकलीफ।


तेजी से हो रही रिकवरी, गंभीर मामलों की संख्या कम

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार कोविड-19 मामलों में रिकवरी की अवधि पहले से कम है। ज़्यादातर मरीज तीन से सात दिन में ठीक हो जा रहे हैं। पर्याप्त आराम, हाइड्रेशन, और बुखार के लिए सामान्य दवाओं से घर पर ही इलाज संभव हो रहा है। अस्पताल में भर्ती या एंटीवायरल दवाओं की ज़रूरत अधिकतर मामलों में नहीं पड़ रही।


बुजुर्ग, बच्चों और गंभीर बीमारियों से पीड़ित लोगों को ज्यादा सतर्क रहने की सलाह

हालांकि यह लहर हल्की है, लेकिन डॉक्टर्स और विशेषज्ञों का कहना है कि जिन लोगों को डायबिटीज, श्वसन संबंधी समस्याएं, या कमजोर इम्यून सिस्टम की समस्याएं हैं, उन्हें विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। मास्क पहनना, भीड़भाड़ से बचना, और फ्लू जैसे लक्षणों को नजरअंदाज़ न करना अब भी जरूरी है।


कोविड टेस्ट के लिए जागरूकता जरूरी

डॉक्टरों का यह भी कहना है कि दस्त जैसे लक्षणों को सामान्य समझकर अनदेखा करना खतरनाक हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति बिना कारण के दस्त या थकान से परेशान है, तो उसे कोविड टेस्ट जरूर करवाना चाहिए। इससे न केवल उसका सही इलाज संभव होगा, बल्कि संक्रमण को फैलने से भी रोका जा सकेगा।


निष्कर्ष:

इस बार का कोविड वेरिएंट ज्यादा गंभीर नहीं है, लेकिन इसके लक्षण अलग हैं और तेजी से फैल रहे हैं। खासकर दिल्ली में कोविड केस और अन्य शहरों में ओपीडी में भीड़ इस बात की ओर इशारा करती है कि संक्रमण फैल रहा है। हालांकि घबराने की नहीं, बल्कि सतर्क रहने और समय पर टेस्ट करवाने की जरूरत है। अपनी और दूसरों की सुरक्षा के लिए सावधानी और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है।

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