बिहार की राजनीति में हलचल : वायरल वीडियो के बाद तेजप्रताप यादव पर लालू यादव की सख्त कार्रवाई
बिहार की राजनीति में तेजप्रताप यादव पर वायरल वीडियो के बाद बड़ा बवाल मचा। लालू यादव ने उन्हें पार्टी और परिवार से 6 साल के लिए बाहर कर दिया। तेजप्रताप ने इसे षड्यंत्र बताया और सवाल उठाया कि क्या उनके साथ न्याय हुआ? तेजस्वी को समर्थन और उन्हें बहिष्कार – क्या यह समानता है?
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Image source : social media |
बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल मचा हुआ है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के वरिष्ठ नेता और लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव एक बार फिर विवादों के केंद्र में आ गए हैं। सोशल मीडिया पर उनके कुछ वीडियो और तस्वीरों के वायरल होते ही राजनीतिक गलियारों में खलबली मच गई है।
वायरल वीडियो और अनुष्का यादव का नाम चर्चा में
वायरल हुई तस्वीरों और वीडियो में तेजप्रताप यादव एक युवती के साथ दिखाई दे रहे हैं, जिनका नाम अनुष्का यादव बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि यह वही युवती हैं जिससे तेजप्रताप बीते 12 वर्षों से प्रेम करते रहे हैं। तेजप्रताप ने इन फोटोज और वीडियो को AI जनित और राजनीतिक षड्यंत्र करार दिया, लेकिन विवाद गहराने के साथ ही मामला गंभीर हो गया।
अखिलेश यादव का ट्वीट और फिर चुप्पी
शुरुआत में समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने तेजप्रताप का समर्थन किया, लेकिन जैसे-जैसे वीडियो वायरल हुआ, उन्होंने अपना ट्वीट बिना कोई सफाई दिए हटा लिया। इससे यह स्पष्ट हो गया कि यह मामला अब केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि राजनीतिक रूप से भी संवेदनशील बन चुका है।
लालू यादव का ऐतिहासिक फैसला: पार्टी और परिवार से बाहर
इस विवाद के बाद सबसे बड़ी प्रतिक्रिया आई लालू प्रसाद यादव की ओर से। उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ऐलान किया कि तेजप्रताप को 6 सालों के लिए पार्टी और परिवार, दोनों से बाहर कर दिया गया है। लालू यादव ने कहा:
"निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना हमारे सामाजिक न्याय के संघर्ष को कमजोर करती है। पुत्र की गतिविधियाँ लोक आचरण तथा हमारे पारिवारिक मूल्यों के अनुकूल नहीं हैं। अतः मैं उसे पार्टी और परिवार दोनों से दूर करता हूँ।"
क्या तेजप्रताप के साथ न्याय हुआ? उठते हैं कई सवाल
तेजप्रताप यादव के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे अनुष्का यादव से वर्षों से प्रेम करते रहे हैं। बावजूद इसके उनकी शादी जबर्दस्ती ऐश्वर्या राय से करवाई गई थी। वहीं, जब उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव ने एक अलग धर्म और पृष्ठभूमि से आने वाली लड़की से विवाह किया, तो परिवार ने उस निर्णय का समर्थन किया।
यहां सवाल उठता है कि जब तेजप्रताप ने अपनी ही जाति की लड़की को चुना, तो उस रिश्ते को क्यों नकारा गया? और अब जब वही रिश्ता सामने आया, तो उसी को आधार बनाकर उन्हें परिवार और पार्टी से बाहर क्यों कर दिया गया?
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तेजप्रताप: एक छाया में दबे नेता की दास्तान
तेजप्रताप यादव का राजनीतिक जीवन हमेशा उनके छोटे भाई तेजस्वी की छाया में दबा रहा। जहां तेजस्वी को पार्टी का भविष्य माना गया, वहीं तेजप्रताप को अक्सर विवादों और उपेक्षा का सामना करना पड़ा। उन्हें न तो राजनीति में पूरी स्वतंत्रता मिली, और न ही निजी जीवन में अपने फैसले खुद लेने का अवसर।
आज जब उनके रिश्ते सार्वजनिक हुए हैं, तो उन पर चरित्र और नैतिकता का प्रश्नचिन्ह लगाकर उन्हें राजनीतिक और पारिवारिक दायरे से बाहर कर दिया गया है। ऐसे में यह सवाल स्वाभाविक है — क्या तेजप्रताप को अपनी बात रखने का मौका भी मिला?
नैतिकता जरूरी, लेकिन समानता और सहानुभूति भी उतनी ही अहम
राजनीति में नैतिकता आवश्यक है, लेकिन जब बात परिवार की आती है, तो समानता और सहानुभूति भी उतनी ही जरूरी होती है। अगर एक बेटे की पसंद को खुले दिल से स्वीकार किया जा सकता है, तो दूसरे के लिए वही दरवाजे क्यों बंद कर दिए जाते हैं?
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निष्कर्ष:
तेजप्रताप यादव की यह कहानी केवल एक राजनीतिक विवाद नहीं, बल्कि एक व्यक्ति की संघर्षपूर्ण पहचान और परिवारिक असमानता का भी प्रतीक बन चुकी है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या तेजप्रताप खुद को इस संकट से निकालकर फिर से अपना स्थान बना पाएंगे, या यह घटना उनकी राजनीतिक यात्रा का अंत साबित होगी।
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