नीले-पीले पंखों वाला भावनाओं से भरा तोता: ब्लू एंड गोल्ड मकॉ की कहानी
ब्लॉग | प्रकृति | दिनांक: 06/07/2025
जब पहली बार आपकी नजर इस रंगीन पक्षी पर पड़ती है, तो कुछ पलों के लिए वक्त रुक जाता है। ऐसा लगता है मानो किसी कलाकार ने नीले आसमान और सुनहरी धूप को पंखों में भरकर आसमान में उड़ा दिया हो। जी हां, हम बात कर रहे हैं ब्लू एंड गोल्ड मकॉ की — एक ऐसा तोता जो न सिर्फ रंगों में बेमिसाल है, बल्कि भावनाओं और बुद्धिमत्ता का भी अद्भुत प्रतीक है।
प्रकृति का जीवंत चमत्कार
इस खूबसूरत पक्षी का वैज्ञानिक नाम Ara ararauna है। इसे “नीला पीला तोता” या “ब्लू एंड गोल्ड मकॉ” के नाम से भी जाना जाता है। इसकी आकर्षक रंगत, गहरी समझ और अपने साथी के प्रति अटूट वफादारी इसे पक्षियों की दुनिया का एक नायाब रत्न बनाती है।
कहां बसता है यह रंगीन तोता?
ब्लू एंड गोल्ड मकॉ दक्षिण अमेरिका के घने, नम और हरे-भरे जंगलों में पाया जाता है। ये विशेष रूप से ब्राजील, पेरू, वेनेजुएला, कोलंबिया और अमेज़न बेसिन में पाए जाते हैं। ये ऊंचे और पुराने पेड़ों को अपना बसेरा बनाते हैं और नदी किनारे के इलाकों को खास पसंद करते हैं।
हालांकि, जंगलों की कटाई और मानव गतिविधियों के कारण इनका प्राकृतिक आवास लगातार सिकुड़ता जा रहा है, फिर भी कई क्षेत्रों में ये अब भी जीवंत रूप में देखे जा सकते हैं।
एक जीवनभर का साथी
ब्लू एंड गोल्ड मकॉ अपने जीवनसाथी के प्रति बेहद वफादार होता है। ये जीवनभर एक ही साथी के साथ रहते हैं। अगर एक साथी की मृत्यु हो जाए, तो दूसरा अक्सर गहरे दुख में चला जाता है और भोजन तक त्याग देता है। जंगलों में इनकी औसतन उम्र 30 से 35 साल होती है, लेकिन पालतू अवस्था में सही देखभाल मिलने पर ये 50 से 70 साल तक भी जी सकते हैं।
क्या खाता है यह सुंदर पक्षी?
यह पक्षी शाकाहारी है और मुख्य रूप से फल, बीज, मेवे, पत्तियां और फूल खाता है। कई बार ये मिट्टी भी खाते हैं ताकि जहरीले बीजों के प्रभाव को कम कर सकें। इसकी भोजन चयन की समझ इसे और खास बनाती है, क्योंकि यह जहरीले फलों की पहचान कर सकता है।
माता-पिता की मिसाल
मकॉ खुद घोंसला नहीं बनाते, बल्कि पुराने पेड़ों के खोखले हिस्सों को सुरक्षित आशियाना बना लेते हैं। मादा एक बार में 2-3 अंडे देती है, जिन्हें सेने में लगभग एक महीना लगता है। बच्चे निकलने के बाद दोनों माता-पिता मिलकर उनकी पूरी देखभाल करते हैं और उन्हें उड़ान भरने के लिए तैयार करते हैं।
इंसानी आवाज की नकल और भावनात्मक जुड़ाव
ब्लू एंड गोल्ड मकॉ इंसानी आवाज की नकल करने में माहिर हैं। ये 100 से अधिक शब्द याद कर सकते हैं और उन्हें सही समय पर बोल भी सकते हैं। ये अकेलापन बर्दाश्त नहीं कर पाते और लंबे समय तक अकेले रहने पर मानसिक तनाव में चले जाते हैं। यह पक्षी न केवल बोलता है बल्कि इंसानों के साथ गहरा भावनात्मक रिश्ता भी बना लेता है।
भारत में गैरकानूनी, विदेशों में शर्तों के साथ अनुमति
भारत में यह विदेशी प्रजाति होने के कारण इसे पालतू बनाना वन्य जीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) के तहत पूरी तरह गैरकानूनी है। जबकि कुछ देशों में इसे पालतू बनाने की अनुमति है, लेकिन इसके लिए विशेष लाइसेंस और परमिट अनिवार्य होते हैं। साथ ही इसकी देखभाल में अत्यधिक समय, मेहनत और समर्पण की जरूरत होती है।
संरक्षण की सख्त जरूरत
भले ही इस समय ब्लू एंड गोल्ड मकॉ को IUCN की “Least Concern” श्रेणी में रखा गया है, लेकिन तेजी से हो रही जंगलों की कटाई, तस्करी और प्राकृतिक आवास के नुकसान ने कई क्षेत्रों में इनकी संख्या को खतरनाक हद तक कम कर दिया है। यदि समय रहते संरक्षण के उपाय नहीं किए गए, तो यह अद्भुत पक्षी भविष्य में केवल किताबों और तस्वीरों तक सिमट सकता है।
भावनाओं से भरा एक उड़ता चमत्कार
ब्लू एंड गोल्ड मकॉ कोई आम तोता नहीं है। यह एक ऐसा साथी है जो न केवल उड़ता है, बल्कि बोलता है, महसूस करता है और प्रेम को भी समझता है। जब यह अपने जीवनसाथी के साथ आसमान में उड़ान भरता है, तो मानो नीले आकाश पर सुनहरी कविताएं लिखी जा रही हों।
निष्कर्ष
ब्लू एंड गोल्ड मकॉ केवल एक पक्षी नहीं, बल्कि हमारी धरती की जैव विविधता का एक अनमोल रत्न है। इसकी सुंदरता, समझदारी और भावनात्मक जुड़ाव इसे खास बनाते हैं। हमारा फर्ज है कि हम इसके संरक्षण के लिए जागरूक हों और आने वाली पीढ़ियों को यह रंगीन चमत्कार देखने का अवसर दें।
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