माइक्रोसॉफ्ट छोड़ने वाली भारतीय-अमेरिकी इंजीनियर वानिया अग्रवाल ने गाजा युद्ध पर उठाई आवाज, इस्तीफे से मचाया तूफान
सिएटल – माइक्रोसॉफ्ट की एआई टीम की पूर्व सॉफ्टवेयर इंजीनियर वानिया अग्रवाल ने गाजा युद्ध के विरोध में अपने पद से इस्तीफा देकर वैश्विक टेक इंडस्ट्री में एक भावनात्मक हलचल मचा दी है। वानिया ने सिर्फ कंपनी छोड़ने का निर्णय नहीं लिया, बल्कि एक साहसिक स्टैंड लेते हुए दुनिया के सामने यह सवाल खड़ा कर दिया कि क्या टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जीवन बचाने के लिए होना चाहिए या उसे खत्म करने के लिए?
इस्तीफा बना चर्चा का विषय
2023 में माइक्रोसॉफ्ट से जुड़ने वाली वानिया अग्रवाल ने कंपनी की 50वीं वर्षगांठ के समारोह के दौरान मंच पर चल रही बातचीत को बीच में रोकते हुए एक तीखा सवाल दागा:
"गाजा में 50,000 फिलिस्तीनियों की हत्या माइक्रोसॉफ्ट की तकनीक से की गई है। उनके खून पर जश्न मनाने के लिए आप सभी को शर्म आनी चाहिए!"
ये शब्द सिर्फ एक विरोध नहीं थे, बल्कि एक ऐलान था — कि वो अब इस कंपनी का हिस्सा नहीं रहेंगी।
AI इंजीनियर से एक्टिविस्ट तक
वानिया का सफर प्रेरणादायक और साहसी रहा है। उन्होंने एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर Amazon में तीन साल से अधिक समय तक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट इंजीनियर के रूप में कार्य किया। 2023 में Microsoft में AI डिवीजन से जुड़ने के बाद, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक वहाँ काम किया।
लेकिन अप्रैल 2025 में एक कंपनी-व्यापी ईमेल के जरिए उन्होंने अपने इस्तीफे की सार्वजनिक घोषणा की, जिसमें लिखा:
"मैं, अच्छे विवेक के साथ, ऐसी कंपनी का हिस्सा नहीं हो सकती जो इस हिंसक अन्याय में भाग लेती है।"
विरोध की आवाज बनी एक उम्मीद
वानिया सिर्फ एक इंजीनियर नहीं हैं — वे एक संवेदनशील और जागरूक इंसान भी हैं। माइक्रोसॉफ्ट और इजरायल के रक्षा मंत्रालय के बीच हुए 133 मिलियन डॉलर के क्लाउड और AI कॉन्ट्रैक्ट को लेकर उन्होंने सवाल उठाया और यह साफ किया कि टेक्नोलॉजी को हथियार नहीं, मानवता का साथी होना चाहिए।
उनके साथ एक और कर्मचारी ने भी इस्तीफा दिया, और इस कदम को वैश्विक स्तर पर सराहा जा रहा है। सोशल मीडिया पर लोग उन्हें 'टेक वॉरियर ऑफ पीस' कहकर बुला रहे हैं।
वानिया ने तकनीकी क्षेत्र में आने से पहले कई अलग-अलग भूमिकाएं निभाईं। 2016 में वे एक मेडिकल असिस्टेंट थीं, 2015 में एक टी-कंसल्टेंट, और इससे पहले एक फार्मेसी टेक्नीशियन के रूप में भी काम कर चुकी हैं।
उन्होंने 2012 में Etsy पर "Vannushka" नामक हस्तनिर्मित वस्तुओं की ऑनलाइन दुकान भी चलाई थी।
क्या कहती है वानिया की कहानी?
वानिया अग्रवाल की कहानी उस हर इंसान के लिए एक प्रेरणा है जो तकनीक, करियर और जमीर — तीनों को एक साथ लेकर चलना चाहता है। उन्होंने दिखा दिया कि नौकरी खोना बुरा हो सकता है, लेकिन ज़मीर खोना उससे भी कहीं ज्यादा खतरनाक होता है। उनका इस्तीफा एक प्रश्न छोड़ जाता है: क्या हम उस दुनिया में जीना चाहते हैं जहाँ टेक्नोलॉजी इंसानियत से बड़ी हो जाती है?
1. वानिया अग्रवाल ने माइक्रोसॉफ्ट क्यों छोड़ा?
वानिया अग्रवाल ने माइक्रोसॉफ्ट को इसलिए छोड़ा क्योंकि उन्हें कंपनी का इजरायल के रक्षा मंत्रालय के साथ किया गया 133 मिलियन डॉलर का एआई और क्लाउड कॉन्ट्रैक्ट स्वीकार नहीं था। उन्होंने गाजा में हो रही हिंसा को "नरसंहार" बताया और कहा कि वो ऐसे किसी संगठन का हिस्सा नहीं बन सकती जो इस हिंसा में तकनीकी रूप से भागीदार हो।
2. वानिया अग्रवाल कौन हैं?
वानिया अग्रवाल एक भारतीय-अमेरिकी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। उन्होंने एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी से सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है और पहले Amazon में भी काम कर चुकी हैं। वे 2023 में माइक्रोसॉफ्ट की एआई डिवीजन में शामिल हुईं थीं।
3. माइक्रोसॉफ्ट का गाजा युद्ध में क्या रोल है?
माइक्रोसॉफ्ट ने इजरायल के रक्षा मंत्रालय के साथ एक बड़ा क्लाउड और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कॉन्ट्रैक्ट किया है, जिसकी कीमत $133 मिलियन बताई गई है। वानिया और अन्य आलोचकों का मानना है कि इस तकनीक का इस्तेमाल गाजा में सैन्य अभियानों में हो रहा है।
4. क्या वानिया अग्रवाल अकेली थीं जिन्होंने इस्तीफा दिया?
नहीं, उनके साथ एक और कर्मचारी ने भी इस्तीफा दिया, जिन्होंने भी गाजा में हो रही हिंसा के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया।
5. क्या माइक्रोसॉफ्ट ने वानिया अग्रवाल की बातों पर कोई प्रतिक्रिया दी?
अब तक माइक्रोसॉफ्ट की तरफ से वानिया अग्रवाल के आरोपों पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।
6. क्या वानिया अग्रवाल ने पहले भी सामाजिक मुद्दों पर बोलने का काम किया है?
हालांकि इससे पहले उनके किसी सार्वजनिक विरोध की जानकारी नहीं है, लेकिन उनका ये कदम दर्शाता है कि वे सामाजिक और मानवीय मुद्दों को लेकर बेहद संवेदनशील हैं।
7. वानिया अग्रवाल की लिंक्डइन प्रोफाइल या सोशल मीडिया अकाउंट है?
हाँ, उनकी लिंक्डइन प्रोफाइल सार्वजनिक है, जहाँ उनकी शिक्षा और कार्य अनुभव की जानकारी दी गई है। हालांकि, उनकी निजी सोशल मीडिया गतिविधियों के बारे में जानकारी सीमित है।
निष्कर्ष:
वानिया अग्रवाल का कदम सिर्फ एक इस्तीफा नहीं था, बल्कि यह एक आवाज थी—उन लाखों बेगुनाहों की, जो युद्ध की आग में झुलस रहे हैं। एक बहुराष्ट्रीय कंपनी की चमकदार नौकरी छोड़कर, उन्होंने यह साबित कर दिया कि तकनीक से बड़ी चीज इंसानियत होती है।
जहाँ आज भी कई लोग चुपचाप सिस्टम का हिस्सा बने रहते हैं, वानिया जैसी आवाजें हमें ये याद दिलाती हैं कि असली ताक़त सिर्फ कोडिंग या प्रोग्रामिंग में नहीं, बल्कि ज़मीर से किए गए फैसलों में होती है।
उनका यह कदम हम सभी के लिए एक सवाल बनकर खड़ा है—क्या हम सिर्फ टेक्नोलॉजी के गुलाम बनेंगे, या उसकी दिशा तय करने वाले ज़िम्मेदार इंसान भी?
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