अमेरिकी नौसेना की बड़ी तैयारी: ट्रंप की ईरान नीति में शामिल बिन लादेन को दफनाने वाला जहाज!
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वॉशिंगटन/तेहरान: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के खिलाफ अपने रुख को और कड़ा करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। उन्होंने फारस की खाड़ी में अमेरिकी नौसेना के विमानवाहक पोत USS कार्ल विंसन को तैनात कर दिया है। यह वही एयरक्राफ्ट कैरियर है जिसने 2011 में अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन के शव को समुद्र में दफन किया था।
ट्रंप प्रशासन का यह कदम ईरान पर दबाव बनाने की कड़ी में एक महत्वपूर्ण रणनीति माना जा रहा है। हाल ही में अमेरिका और इजरायल के बीच सुरक्षा और सामरिक सहयोग पर चर्चा हुई थी, जिसके बाद यह तैनाती की गई है। सूत्रों के अनुसार, अगर ईरान नया परमाणु समझौता करने में विफल रहता है, तो अमेरिका और इजरायल मिलकर एक व्यापक सैन्य कार्रवाई कर सकते हैं।
इससे पहले इजरायल पर हमले के बाद मध्य पूर्व में अशांति फैल गई थी। ट्रंप ने उस हमले के जवाब में कठोर कदम उठाने का संकेत दिया था। फ्रांस के विदेश मंत्री ने भी इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि अगर नया परमाणु समझौता नहीं हुआ, तो युद्ध की संभावना बढ़ जाएगी।
दूसरी ओर, वाइट हाउस ने अप्रत्यक्ष रूप से ईरान के साथ बातचीत जारी रखी है। यह डबल गेम रणनीति ट्रंप प्रशासन की ओर से कूटनीतिक दबाव बनाने का संकेत है। USS कार्ल विंसन के साथ B-2 स्टील्थ बॉम्बर की तैनाती ने सैन्य तैयारियों को और मजबूत कर दिया है।
मिलते-जुलते सवाल:
उत्तर: हाँ, ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव का एक प्रमुख कारण परमाणु समझौते में असफलता है। अमेरिका और इजरायल ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर ईरान नया परमाणु समझौता नहीं करता, तो सैन्य कार्रवाई संभव है।
2. USS कार्ल विंसन की तैनाती से क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ेगा?3. क्या अमेरिका और इजरायल का संयुक्त हमला मध्य पूर्व में और अधिक अशांति ला सकता है?
निष्कर्ष:
अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ता तनाव वैश्विक स्थिरता के लिए चुनौतीपूर्ण है। ट्रंप की आक्रामक रणनीति ने इस मुद्दे को और जटिल बना दिया है। आने वाले दिनों में फारस की खाड़ी में USS कार्ल विंसन की मौजूदगी से क्षेत्रीय राजनीति में उथल-पुथल मच सकती है।
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