अंतरिक्ष में लैब में बना खाना: यूरोपीय एजेंसी का अनोखा प्रयोग जो भविष्य में चंद्रमा और मंगल मिशनों की भोजन लागत को कर सकता है बेहद कम
नई दिल्ली: भविष्य में चंद्रमा या मंगल जैसे ग्रहों पर मानव जीवन को संभव बनाने की दिशा में एक नया और क्रांतिकारी कदम उठाया गया है। वैज्ञानिकों ने पहली बार अंतरिक्ष में प्रयोगशाला में भोजन उगाने की प्रक्रिया का परीक्षण शुरू किया है। इस प्रयास का मकसद यह पता लगाना है कि क्या माइक्रोग्रैविटी (सूक्ष्म गुरुत्व) में भी भोजन तैयार किया जा सकता है, जिससे अंतरिक्ष यात्रियों के भोजन पर आने वाली भारी लागत को कम किया जा सके।
बायोरिएक्टर के साथ नई शुरुआत
यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA) के नेतृत्व में यह प्रयोग स्पेसएक्स के फाल्कन 9 रॉकेट के जरिए शुरू हुआ, जिसमें वैज्ञानिकों ने माइक्रोग्रैविटी में बुनियादी कोशिकीय सामग्रियों से भोजन बनाने की प्रक्रिया का परीक्षण करने के लिए एक बायोरिएक्टर अंतरिक्ष में भेजा।
वर्तमान में अंतरिक्ष यात्रियों को भोजन पहुंचाने की लागत लगभग 20,000 पाउंड प्रतिदिन होती है। ऐसे में यह प्रयोग भविष्य में दीर्घकालिक अंतरिक्ष मिशनों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है।
कैसे बनेगा अंतरिक्ष का खाना?
इस तकनीक को "प्रेसिजन फर्मेंटेशन" कहा जाता है, जो बीयर बनाने की प्रक्रिया से मिलती-जुलती है। इसमें विशेष रूप से इंजीनियर किए गए यीस्ट (खमीर) का इस्तेमाल करके प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा और फाइबर जैसे तत्व बनाए जाते हैं। इंपीरियल कॉलेज लंदन के बेजोस सेंटर के डायरेक्टर डॉ. रोड्रिगो लेडेसमा-अमारो के मुताबिक, "हम प्रयोगशाला में भोजन के सभी ज़रूरी अवयव बना सकते हैं।"
मिशन की तकनीकी साझेदारी
इस मिशन में बेडफोर्ड स्थित 'फ्रंटियर स्पेस' और इंपीरियल कॉलेज लंदन की साझेदारी है। फ्रंटियर स्पेस के सीईओ डॉ. अकील शम्सुल ने कहा, "हमारा सपना है कि भविष्य में अंतरिक्ष और चंद्रमा पर फूड फैक्ट्रीज़ बनाई जाएँ। अगर मानव को अंतरिक्ष में टिकाऊ जीवन जीने का मौका देना है, तो हमें वहीं पर उत्पादन की व्यवस्था बनानी होगी।"
प्रारंभिक प्रयोग के लिए संशोधित यीस्ट को एक क्यूब सैटेलाइट के साथ भेजा गया है, जो यूरोप के पहले वापसी योग्य अंतरिक्ष यान 'फीनिक्स' पर आधारित है। यह कक्षा में एक संक्षिप्त समय बिताने के बाद पृथ्वी पर लौटेगा, जहां उसका विश्लेषण किया जाएगा।
अंतरिक्ष का जायका भी लाजवाब
इंपीरियल कॉलेज के फूड डिजाइनर जैकब रेडज़िकोव्स्की अंतरिक्ष में प्रयोगशाला में उगाए गए फूड से फ्रेंच, चाइनीज़ और भारतीय व्यंजन बनाने की संभावनाओं पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "हम लगभग हर प्रकार का खाना तैयार कर सकते हैं, चाहे वह करी हो या डेज़र्ट।"
ब्रिटेन की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री हेलेन शर्मन ने इन व्यंजनों के स्वाद की सराहना की और कहा कि लैब में बने फूड से अंतरिक्ष यात्रियों को मिशन के दौरान बेहतर पोषण और स्वाद दोनों मिल सकता है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिक्ष में शरीर में हार्मोन, आयरन और कैल्शियम के स्तर में बदलाव होता है, ऐसे में अनुकूलित भोजन की ज़रूरत और भी अधिक होती है।
निष्कर्ष
इस प्रयोग से यह स्पष्ट है कि अंतरिक्ष में लैब में भोजन बनाना न केवल संभव है, बल्कि यह भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए एक सस्ता, टिकाऊ और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प भी बन सकता है। आने वाले समय में जब मानव चंद्रमा या मंगल की सतह पर लंबे समय के लिए जाएगा, तब यही तकनीक उनकी जीवनरेखा साबित हो सकती है।
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