भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई रफ्तार: GDP वृद्धि दर 6.5% होने की उम्मीद
भारतीय अर्थव्यवस्था को मिलेगी नई रफ्तार: GDP वृद्धि दर 6.5% होने की उम्मीद
नए वित्तीय वर्ष से पहले भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर एक उत्साहवर्धक खबर सामने आई है। ईवाई इकोनॉमी वॉच की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह आर्थिक वृद्धि विकास कार्यों को प्रोत्साहित करेगी और बुनियादी ढांचे में सुधार लाने में मदद करेगी।
नया वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से शुरू होने जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह वर्ष भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर सरकारी खर्च बढ़ाने की जरूरत है, जिससे दीर्घकालिक विकास को गति मिलेगी।
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ईवाई इकोनॉमी वॉच के मार्च संस्करण के मुताबिक, वित्त वर्ष 2025 में वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि नए वित्तीय वर्ष में यह दर 6.5 प्रतिशत हो सकती है। इससे पहले एनएसओ ने वित्त वर्ष 2023 से 2025 के लिए जीडीपी वृद्धि दर क्रमशः 7.6 प्रतिशत, 9.2 प्रतिशत और 6.5 प्रतिशत का पूर्वानुमान लगाया था।
शिक्षा और स्वास्थ्य पर जोर
रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में सरकारी निवेश को बढ़ाना जरूरी है। अगले दो दशकों में, भारत को शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के मौजूदा 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत और स्वास्थ्य सेवा पर व्यय को 3.8 प्रतिशत तक ले जाना होगा। इससे मानव पूंजी में सुधार और दीर्घकालिक विकास में मदद मिलेगी।
विशेषज्ञों की राय
ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव का कहना है कि भारत की युवा आबादी और कार्यबल की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, शिक्षा और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है। अगर कामकाजी उम्र के लोगों को बेहतर रोजगार के अवसर मिलते हैं, तो इससे विकास, रोजगार और निवेश में बढ़ोतरी होगी।
सवाल-जवाब: अर्थव्यवस्था से जुड़े सामान्य प्रश्न
प्रश्न: वित्तीय वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान क्या है?
उत्तर: ईवाई इकोनॉमी वॉच के अनुसार, वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
प्रश्न: शिक्षा पर खर्च को कितने प्रतिशत तक बढ़ाने की जरूरत है?
उत्तर: रिपोर्ट में शिक्षा पर खर्च को जीडीपी के 4.6 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत करने की सिफारिश की गई है।
निष्कर्ष
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह नया वित्तीय वर्ष कई उम्मीदें लेकर आ रहा है। यदि सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर ध्यान केंद्रित करती है, तो यह वृद्धि दर न केवल हासिल होगी बल्कि दीर्घकालिक आर्थिक स्थिरता भी सुनिश्चित होगी।
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