जज के घर में आग और जले नोट! दिल्ली हाईकोर्ट की रिपोर्ट से DFS के दावे पर उठा सवाल, जानें पूरी सच्चाई।

जज के घर में आग और जले नोट! दिल्ली हाईकोर्ट की रिपोर्ट से DFS के दावे पर उठा सवाल,  जानें पूरी सच्चाई। 


 नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट और सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए एक वीडियो ने दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के दावे को सवालों के घेरे में ला दिया है। डीएफएस ने दावा किया था कि न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के सरकारी आवास पर आग बुझाने के दौरान अग्निशमन कर्मियों को कोई नकदी नहीं मिली थी।


जज के घर में आग और जले नोट! दिल्ली हाईकोर्ट की रिपोर्ट से DFS के दावे पर उठा सवाल,  जानें पूरी सच्चाई।


वीडियो और जांच रिपोर्ट से खुलासा

पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय के साथ साझा किए गए इस वीडियो को शनिवार रात को 25 पन्नों की रिपोर्ट के हिस्से के रूप में सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो में दिल्ली अग्निशमन सेवा (डीएफएस) के अग्निशमन कर्मी उन वस्तुओं पर लगी आग बुझाते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिनमें संभवतः आधे जले हुए भारतीय नोट भी शामिल हैं। इससे डीएफएस के पहले के दावे पर संदेह गहरा गया है।


डीएफएस का पुराना बयान

डीएफएस प्रमुख अतुल गर्ग ने 21 मार्च को पीटीआई को बताया था कि 14 मार्च को आग लगने की घटना के दौरान अग्निशमन कर्मियों को न्यायमूर्ति वर्मा के आवास से कोई नकदी नहीं मिली थी। उन्होंने कहा था, "आग बुझाने के तुरंत बाद, हमने पुलिस को आग की घटना के बारे में सूचित किया। इसके बाद हमारी टीम मौके से चली गई। हमारे अग्निशमन कर्मियों को आग बुझाने के दौरान कोई नकदी नहीं मिली।"

सोशल मीडिया पर बवाल

वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। यूजर्स पूछ रहे हैं कि अगर नकदी नहीं थी तो फिर वीडियो में आधे जले हुए नोट कहां से आए? यह मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है और जांच एजेंसियां भी इसे गंभीरता से देख रही हैं।

क्या कहती है जांच रिपोर्ट?

दिल्ली हाईकोर्ट की जांच रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि अग्निशमन अभियान के दौरान कुछ जले हुए नोट देखे गए थे। हालांकि, इस मामले की विस्तृत जांच अभी भी जारी है।


आगे क्या होगा?

अब जब यह मामला सुर्खियों में आ गया है, तो पुलिस और अन्य जांच एजेंसियों पर निष्पक्ष जांच का दबाव बढ़ गया है। अगर डीएफएस के दावे गलत पाए जाते हैं, तो इससे न केवल उनकी साख पर असर पड़ेगा, बल्कि संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई हो सकती है।

इस घटना ने सरकारी एजेंसियों की पारदर्शिता और जवाबदेही को लेकर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता अब इस मामले में सच्चाई सामने आने का इंतजार कर रही है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

POCO M7 5G: बजट में दमदार स्मार्टफोन – फीचर्स, कीमत और खरीदने से पहले जानें यह 5 बातें

Nothing Phone 3a और 3a Pro: पारदर्शी डिज़ाइन और दमदार फीचर्स वाला परफेक्ट स्मार्टफोन खरीदने से पहले जानले कुछ बाते।

द्वारका सेक्टर-5 में अपार्टमेंट की छठी मंजिल पर लगी आग, दमकल कर्मियों ने बुजुर्ग महिला और उनकी बेटी को बचाया