कल्पना चावला: अंतरिक्ष की अमर विरासत, जो हर दिल में जिंदा है , 1 फरवरी 2003: जब अंतरिक्ष ने अपनी सबसे चमकदार हीरोइन को खो दिया
विज्ञान न्यूज़ | अंतरिक्ष
कल्पना चावला भारत की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री थीं, जिन्होंने दो बार अंतरिक्ष की यात्रा की। 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया शटल हादसे में उनकी मृत्यु हो गई। यह हादसा स्पेसक्राफ्ट के टेकऑफ के समय क्षतिग्रस्त हिस्से के कारण हुआ। कल्पना का जीवन साहस, समर्पण और प्रेरणा की मिसाल है। उन्होंने विज्ञान में महिलाओं की भागीदारी को नया मुकाम दिया। उनका सपना और योगदान आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करता है।
तारीख: 1 फरवरी 2003स्थान: टेक्सास, अमेरिका
नासा का अंतरिक्ष यान कोलंबिया शटल STS-107 तेजी से धरती की ओर लौट रहा था। इस मिशन में भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला अपने दूसरे स्पेस मिशन को पूरा कर वापस लौट रही थीं। धरती से लगभग 2 लाख फीट दूर, जब यान की गति 20,000 किलोमीटर प्रति घंटा थी, तो अचानक नासा का स्पेसक्राफ्ट से संपर्क टूट गया। कुछ ही पलों में यह यान आग के गोले में बदल गया और धरती से सिर्फ 16 मिनट की दूरी पर ही यह हादसे का शिकार हो गया। इस हादसे में कल्पना चावला समेत सभी 7 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई।
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यह मिशन 16 दिनों तक सफलतापूर्वक चला, लेकिन अंत में मात्र 16 मिनट पहले यह असफल हो गया। यह हादसा हर भारतीय के लिए एक दर्दनाक याद बन गया।
आखिर यह हादसा कैसे हुआ?
दरअसल, जब कल्पना चावला के स्पेसक्राफ्ट ने टेकऑफ किया, तब उसके फ्यूल टैंक से निकला इंसुलेटिंग फोम यान के बाएं पंख से टकरा गया। वैज्ञानिकों के मुताबिक, इस वजह से वह टाइलें क्षतिग्रस्त हो गईं जो यान को वायुमंडल में प्रवेश करने पर तेज गर्मी से बचाती हैं। जैसे ही स्पेसक्राफ्ट धरती के वायुमंडल में पहुंचा, हवा के घर्षण से अत्यधिक गर्मी पैदा हुई, जिससे यान में भयानक विस्फोट हुआ और पूरे क्रू की जान चली गई।
कल्पना चावला : शिक्षा और करियर
- जन्म: 1 जुलाई 1962, करनाल, हरियाणा
- शिक्षा: पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में B.Tech
- 1982: अमेरिका में उच्च शिक्षा के लिए रवाना हुईं
- 1984: टेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री
- 1986: दूसरी मास्टर डिग्री और PhD पूरी की
- 1991: अमेरिकी नागरिकता प्राप्त की और नासा से जुड़ीं
कल्पना चावला : अंतरिक्ष में पहला कदम
कल्पना चावला को 1997 में नासा के स्पेस शटल प्रोग्राम के लिए चुना गया।
19 नवंबर 1997: कल्पना चावला ने कोलंबिया स्पेस शटल STS-87 से पहली बार अंतरिक्ष में उड़ान भरी। इस मिशन में उन्होंने 65 लाख मील की यात्रा की और 376 घंटे (15 दिन, 16 घंटे) अंतरिक्ष में बिताए। वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय मूल की महिला बनीं।
कल्पना चावला : दूसरा और आखिरी मिशन
16 जनवरी 2003: कल्पना चावला अपने दूसरे अंतरिक्ष मिशन पर रवाना हुईं। लेकिन 1 फरवरी 2003 को यह मिशन हादसे का शिकार हो गया और पूरी दुनिया ने एक महान वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री को खो दिया।
कल्पना चावला: एक प्रेरणा, जो कभी नहीं मिटेगी
कल्पना चावला सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि हर उस लड़की का सपना हैं, जो अंतरिक्ष में उड़ने का हौसला रखती है।
कल्पना चावला से जुड़ी कुछ अनसुनी बातें:
- उन्हें टॉमबॉय कहा जाता था क्योंकि वह फैशन और मेकअप से दूर रहती थीं।
- उनकी शादी फ्रांस के जॉन पियर हैरिसन से हुई, जो एक फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर थे।
- उन्होंने हमेशा कहा था - "मैं अंतरिक्ष के लिए बनी हूं, और अंतरिक्ष ही मेरी तक़दीर है।"
- उनके सम्मान में नासा ने एक सैटेलाइट 'स्ट्रैटोस्टैट कल्पना' का नाम उनके नाम पर रखा।
प्रेरणादायक सवाल और जवाब : कल्पना चावला
1. कल्पना चावला का सपना क्या था?
कल्पना का सपना था कि वह एक दिन अंतरिक्ष में जाएं और विज्ञान के क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक नई राह खोलें।
2. कल्पना चावला की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या थी?
उन्होंने न केवल अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रचा, बल्कि भारतीय महिलाओं को यह दिखाया कि आसमान की कोई सीमा नहीं होती।
3. हम कल्पना चावला से क्या सीख सकते हैं?
कभी भी अपने सपनों से समझौता न करें। कठिन परिश्रम और जुनून से असंभव को संभव बनाया जा सकता है।
विज्ञान और तकनीक में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा देना चाहिए।
निष्कर्ष: एक सितारा जो कभी बुझ नहीं सकता : कल्पना चावला
कल्पना चावला भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी कहानी, साहस और उपलब्धियाँ हमें हमेशा प्रेरित करती रहेंगी। उनका जीवन हर उस इंसान के लिए एक प्रेरणा है, जो बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस रखता है।
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